निरंतर विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पंहुचा देता है. (महात्मा गाँधी)
कहा जाता है व्यक्ति कभी महान पैदा नहीं होता, लेकिन उसके विचार और कार्य उसे बाकी लोगों से पृथक कर महान बना देते हैं. समाज को एक नवदिशा देने में अग्रणी, परम संत महात्मा गाँधी भी भारत की एक ऐसी महान शख्सियत हैं, जिन्हें न केवल देश बल्कि विदेशों में भी सम्मान दिया जाता हैं. आज उनके स्वर्गवास के इतने वर्ष बाद भी उनके विचार और सिद्धांत लोगों के हृदयों में जीवित हैं, जो स्वयं ही उनके महान होने की कहानी मुखर करते हैं.
बापू ने जो जीवन जिया, वह केवल अपने लिए नहीं था, बल्कि करोड़ों देशवासियों के जीवन को सुधारने के लिए था. आज हम सब बंट से गए हैं, केवल निजहित के ही बारे में सोचते हैं. किन्तु यदि बापू के जीवन का अध्ययन करें तो पाएंगे कि किसी संत के सामान सादा सा जीवन जीने वाले महात्मा गाँधी हमें "सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय" की सीख देते हैं. शायद यही कारण है कि केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी बापू को प्रेम और सम्मान दिया जाता है, उदहारण के तौर पर मलेशिया के छोटे से कस्बे सुंगई सिपुत के "महात्मा गाँधी कालासलाई" नामक स्कूल को देख सकते हैं, जहां आज सैंकड़ों छात्र रोजाना बापू को प्रार्थना सभा में याद करते हैं.
बापू ने देश को आज़ाद कराने के लिए बहुत से आन्दोलन किये, जिनमें चम्पारण सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह, खिलाफ़त आन्दोलन, अंग्रेजों भारत छोड़ो, असहयोग आन्दोलन जैसे शांतिपूर्ण तरीकों का प्रयोग किया, जो इस बात के गवाह हैं कि वह समाज को शांति का उपदेश देना चाहते थे. बापू का यह भाव कि बिना किसी को नुक्सान पहुंचाए समाज कल्याण करना हमारी भारतीयता का परिचायक है. यह हमारी गौरान्वित संस्कृति का प्रतीक है.
बापू आज भी हम सभी में कहीं न कहीं जीवित हैं, जब भी नि:स्वार्थ समाज सेवा का भाव आपके मन में आये, जब भी देश के प्रति कुछ कर दिखाने का जज्बा आपके दिल में जगे और जब भी समाज में असहाय, वंचितों को देखकर उनके हित के लिए आपके कदम बढें तो समझ लीजिये कि यह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के ही सद्विचार हैं, जो हममें अंतर्निहित हैं. बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन और उनके संतरूपी जीवन को कोटि कोटि वंदन..!!
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