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हिण्डन सम्मेलन: हिण्डन सुधार की रणनीति का आयोजन

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  • May-07-2018

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे समाज तथा इन नदियों के बहाव क्षेत्र के सभी सात जनपदों (सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर) में कार्य करने वाले स्वयं सेवी संगठनों, हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के दोनों किनारों से एक किलोमीटर की दूरी तक बसे गांवों के ग्राम प्रधानों व ग्राम सचिवों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं, से सीधा संवाद स्थापित करने हेतु गत 8 अप्रेल, 2018 को निर्मल हिण्डन सम्मेलन का आयोजन मेरठ स्थित शुभारती विश्वविधालय के मांगल्य प्रेक्षाग्रह में आयोजित किया गया। सम्मेलन में सभी सात जनपदों के अधिकारियों द्वारा निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत अपने-अपने जनपद में प्रारम्भ से अब तक किए गए कार्यों तथा भविष्य की योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किए गए। 

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर मेरठ के मण्डलायुक्त व निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के अध्यक्ष डा0 प्रभात कुमार द्वारा इस हिण्डन सम्मेलन की रूप रेखा तैयार की गई और उसको संबंधित सभी जनपदोें के सहयोग से अमल में लाया गया। सम्मेलन को दो चरणों में विभावित कर पूर्ण किया गया। 

सम्मेलन का प्रारम्भ सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात् मशहूर रागिनी गायक ब्रहमपाल नागर द्वारा गणेश वंदन करके हिण्डन का एक गीत प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के अब तक के प्रयासों पर बनाई गई एक डाक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई। 

सम्मेलन के प्रथम चरण के प्रारम्भ में डा0 प्रभात कुमार द्वारा निर्मल हिण्डन कार्यक्रम की समस्त रूपरेखा व आगामी तैयारियों की जानकारी समेटे हुए एक प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया। प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जहां जुलाई, 2017 से अब तक निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत पूर्ण किए गए कार्यों की जानकारी दी वहीं हिण्डन व उसकी सहायक नदियों की बेहतरी के लिए भविष्य की योजनाओं पर क्रमबद्ध तरीके से प्रकाश डाला। निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत अभी तक किए गए कार्यों में हिण्डन वन महोत्सव के दौरान सभी सात जनपदों में करीब तीन लाख पौधों का रौपण, भनेड़ा एस्केप से काली नदी पश्चिमी में 100 क्यूसेक पानी प्रवाहित करना, हिण्डन व कृष्णी किनारे के पांच गांवों दादरी, रैहतना, शुखपुरा, खपराना व मिलाना में इफको के सहयोग से स्थाई स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन, रसायनमुक्त कृषि के कार्य का प्रारम्भ्रा, हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के वास्तिविक उद्गम की पहचान तथा सभी सात जनपदों व गांवों में हिण्डन समितियों का गठन आदि कार्य प्रमुख हैं। 

डा0 प्रभात कुमार ने निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के पांच मूल मंत्रों सामुहिक भागीदारी, सघन वनीकरण, तालाब/अन्य जल स्रोतों का पुनर्जीवन, अपशिष्ठ का प्रभावी प्रबंधन तथा हरित कृषि पर केंद्रित रखते हुए अपना प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि समाज और सरकार साथ मिलकर हिण्डन व उसकी सहायक नदियों को प्रदूषणमुक्त कर सकते हैं, इसके लिए हमें चार तत्वों विचार, श्रम, समय और संसाधनों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि जो पांच मूल मंत्र निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के हैं, हम सब को मिलकर उन पर ही कार्य करना होगा। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के दोनों किनारों से पांच सौ मीटर की दूरी तक सघन वनीकरण करना चाहिए। इन नदियों के दोनों किनारों से एक किलोमीटर की दूरी तक के सभी गांवों के तालाबों को पुनर्जीवित करना होगा, इस अवसर पर उन्होंने अपने सम्बोधन में तीस जून तक एक गांव-एक तालाब बनाने का तक्ष्य भी निर्धारित किया। वर्षा के पानी का संचयन, नालों की सफाई, शहरों व कस्बों के सीवरेज को नदी में न मिलने देना, उधोगों से निकलने वाले तरल व ठोस कचरे को शोधित करके ही उधोग की सीमा से बाहर निकालना, नदी किनारे के गांवों को खुले में शोचमुक्त करना, रसायनमुक्त कृषि करना, प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगाना तथा जन समूहों अर्थात हिण्डन सेना का गठन करना। इन सब कार्यों को करने से ही हिण्डन व उसकी सहायक नदियों का सुधार संभव है। 

डा0 प्रभात कुमार ने उपरोक्त कार्यों को करने के लिए भी एक विचार सभी के सम्मुख प्रस्तुत किया। जिसमें कि कार्य करने हेतु हमें मैं से हम में बदलना होगा, हम से समुदाय में बदलना होगा, अभियान को अपनी सोच बनाना होगा तथा किसी भी बीमारी का इलाज कराने से बेहतर उसका बचाव करना होगा, तभी संभव है कि हमें गंदा नाला बन चुकी हिण्डन नदी को निर्मल बना सकें। इस कार्य में हमें जहां तन, मन व धन की आवश्यकता है वहीं हमें पागलपन की भी जरूरत है। 

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के उपाध्यक्ष व सहारनपुर के मण्डलायुक्त श्री सी0 पी0 त्रिपाठी ने हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के सुधार हेतु सहारनपुर मण्डल में किए जा रहे कार्यों के संबंध में अपना सम्बोधन दिया। 

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के पांच मूल मंत्रों को ध्यान में रखते हुए सभी के विशेषज्ञ प्रस्तुतिकरण हुए। तालाब संरक्षण के लिए रिबाउन्ड एन्वायरोटेक प्राइवेट लिमिटेड के विषय विशेषज्ञ दिनेश पोसवाल ने हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे बनाए जाने वाले तालाबों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने डकवीड व वेटलैण्ड तकनीकों के संबंध में बताया जिनको कि ग्राम स्तर पर तालाबों में लागू करने से उनमें पुनः गंदगी नहीं होगी। 

दूसरे प्रस्तुतिकरण में मुस्कान ज्योति संस्था के अध्यक्ष मेवालाल ने कचरा प्रबंधन पर तकनीकि जानकारियां दीं। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों किनारे बसे कस्बों व शहरों में कचरे का प्रबंधन किस प्रकार किया जाए इसके लिए उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। 

तीसरे प्रस्तुतिकरण में रसायनमुक्त कृषि के ज्ञाता भारत भूषण त्यागी ने किसानों को जहां यह बताया कि कैसे बगैर किसी लागत के रसायनमुक्त कृषि की जाए वहीं यह भी बताया कि कैसे किसान की आमदनी को दस गुणा तक किया जाए। इसके लिए किसानों को अपने उत्पादों की प्रोसेसिंग करनी होगी। उन्होंने निर्मल हिण्डन कार्यक्रम से जुड़ते हुए कहा कि जहां भी किसान मुझे इस कार्य के लिए आमंत्रित करेंगे मैं जरूर आऊंगा। 

ग्रीनमैन नाम से विख्यात विजयपाल बघेल ने वृक्षारोपण के संबंध में अपने अनुभवों व हिण्डन नदी किनारे हरियाली को बढ़ावा देने के कार्य को करने के तरीकों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। 

जन भागीदारी व जन जागरूकता के विषय में बोलते हुए डब्ल्यू आर जी 2030 की सुश्री एना ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि सभी को साथ मिलकर हिण्डन नदी के सुधार कार्य में जुटना चाहिए। यह कार्य कठिन जरूर है लेकिन असम्भव नहीं।

दोआबा पर्यावरण समिति के डा0 सी0 वी0 सिंह ने अपने सम्बोधन मंे हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे के गांवों में भयंकर जल प्रदूषण की समस्या को सभी के सम्मुख रखते हुए आहवान किया कि सभी को इस समस्या से मिलकर निपटना है। 

नीर फाउंडेशन के रमन कान्त ने सभी ग्रामवासियों से आहवान किया कि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ एकजुट होने से ही इन नदियों का भला संभव है। इसके लिए या तो प्रशासन कार्यवाही करे या फिर कानून के दायरे में समाज अपना कर्तव्य निभाए। 

सम्मेलन के दूसरे चरण में सभी सात जनपदों के प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किए गए। ये प्रस्तुतिकरण संबंधित जनपदों के अधिकारियों ने प्रस्तुत किए। पहला प्रस्तुतिकरण सहारनपुर जनपद का हुआ। 

सहारनपुर जनपद के जिलाधिकारी श्री पाण्डे ने अपने प्रस्तुतिकरण में जानकारी दी के सहारनपुर जनपद में जिला, तहसील, विकास खण्ड व ग्राम हिण्डन समितियों का गठन किया जा चुका है। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों किनारे वृक्षारोपण हेतु कार्य किया जा रहा है। सहारनपुर जनपद में हिण्डन नदी की कुल लम्बाई करीब 91 किलोमीटर है जोकि मुजफ्फराबाद, पुवांरका, बलियाखेड़ी, रामपुर मनिहारन व ननौता विकास खण्डों से होकर गुजरती है। नदी किनारे कुल 27 ग्राम पंचायतों में करीब तीन लाख की आबादी निवास करती है। हिण्डन नदी के निकट कुल 30 उधोग स्थापित हैं वर्तमान में इनमें से बीस ही संचालित हैं। सहारनपुर जनपद से हिण्डन नदी में उधोगों व शहर व कस्बों का करीब 400 मेगा लीटर उत्प्रवाह प्रवाहित होता है। सहारनपुर में जल संरक्षण, हिण्डन व उसकी सहायक नदियों किनारे ग्रामीण पर्यटन, सघन वानिकी व जैविक कृषि आदि का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण में भविष्य की योजनाओं के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि नदी किनारे की 25 ग्राम पंचायतों को खुले में शोच से मुक्त कर दिया गया है जबकि जून, 2018 तक सभी ग्राम पंचायतों को खुले में शोच से मुक्त कर दिया जाएगा। समय-समय पर जनपदीय स्तर की कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी। ग्रामीण पर्यटन की दिशा में कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है तथा वन महोत्सव के दौरान नदी किनारे सघन वृक्षारोपण किया जाएगा। 

मुजफ्फरनगर जनपद के जिलाधिकारी श्री राजीव शर्मा ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया किया निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत जनपद में से होकर गुजरने वाली हिण्डन, काली नदी पश्चिम व कृष्णी तीनों नदियां अत्यधिक प्रदूषित हैं। इनके सुधार हेतु प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं। प्रथम चरण में काली पश्चिमी नदी की सफाई का कार्य प्रारम्भ किया गया है। मुजफ्फरनगर शहर के बीच से होकर जाने वाली इस नदी की खुदाई व सफाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। तीन स्थानों मुजफ्फरनगर-शामली बाईपास, धोबीघाट व शमशान घाट पर नदी की सफाई का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में शहर के सफाई कर्मचारी व मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरे चरण में बरसात से पूर्व इन नदियों के किनारे के गांवों के तालाबों को पुनर्जीवित करने का कार्य प्रारम्भ किया जाएगा। 

शामली जनपद के प्रस्तुतिकरण में जिलाधिकारी इन्द्रविक्रम सिंह ने एक डाक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से शामली में हिण्डन की सहायक नदी कृष्णी के सुधार हेतु किए जा रहे प्रयासों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। वहां निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत किए गए वृक्षारोपण, तालाबों के कार्य तथा शहरी घरेलु बहिस्राव को शोधित करने के तरीकों के संबंध में जानकारी दी। शामली में जिला व ग्राम स्तरीय निर्मल हिण्डन समितियों का गठन किया जा चुका है। इन समितियों की लगातार बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं। हिण्डन वन महोत्सव के दौरान भी नदी किनारे के सभी गांवों ने अपनी भागेदारी निभाई थी।  

बागपत जनपद का प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत करते हुए जिला विकास अधिकारी ने जानकारी दी कि हिण्डन नदी बागपत जनपद के 44 ग्रामों एवं 3 तहसील तथा 05 विकास खण्डों से होकर गुजरती है। हिण्डन नदी जनपद बागपत के विकास खण्ड बिनौली के ग्राम पंचायत तमेलागढ़ी के मजरे सरोरा पट्टी ग्राम से प्रारम्भ होकर ग्राम पंचायत गढ़ीकलंजरी तक जाती है, जिसकी जनपद-बागपत में कुल लम्बाई 66 कि0मी0 है। बागपत की किसी भी नगर पालिका एवं नगर पंचायत का कोई भी प्रदूषित पानी हिण्डन नदी में प्रवाहित नहीं किया जाता है। बागपत जनपद की हिण्डन किनारे कुल 42 ग्राम पंचायतों को खुले में शोच से मुक्त कर दिया गया है। निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत पुरा, सरोरा, खपराना, बालैनी, सहवानपुर, झूण्डपुर, मुकारी, गलेहता व पुरनपुर नवादा आदि ग्रामों में सघन वृक्षारोपण का कार्य किया गया है। ग्राम हरियाखेड़ी, डौलचा व बाखरपुर आदि गांवों में रसायनमुक्त कृषि को बढ़ावा देने का कार्य भी किया जा रहा है। चमरावल ग्राम से तालाब खुदाई का कार्य भी प्रारम्भ कर दिया गया है। 

मेरठ जनपद का प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत करते हुए जिला वानिकी अधिकारी श्रीमति अदिति शर्मा ने जानकारी दी कि मेरठ में हिण्डन व काली पश्चिमी नदियों के किनारे हिण्डन वन महोत्सव के दौरान वृक्षारोपण का कार्य किया गया था। इस दौरान पिठलोकर, डालूहेड़ा व कलीना आदि ग्रामों में करीब दस हजार पौधे रोपित किए गए। वृक्षारोपण में सामाजिक संगठनों, ग्राम पंचायतों व जिला प्रशासन का सहयोग रहा। मेरठ में हिण्डन नदी किनारे रसायनमुक्त कृषि का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इसके लिए कैथवाड़ी, जटौला, कलीना व कल्याणपुर आदि गांवों में किसानों का चयन करके उनको प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। निर्मल हिण्डन ग्राम समितियों व जिला हिण्डन समिति का गठन किया जा रहा है। हिण्डन किनारे की खिवाई नगर पंचायत में करीब 35 हेक्टेयर कृषि भूमि अतिक्रणमुक्त कराई जा चुकी है जिसमें कि जैव-विविधता पार्क बनाने का कार्य किया जाना है। 

गाजियाबाद जनपद के सलाहकार ने प्रस्तुतिकरण में हिण्डन नदी किनारे तीन विकास खण्डों लोनी, रजापुर व मुरादनगर की कुल 18 ग्रामपंचायत हैं सभी को खुले में शोच से मुक्त किया जा चुका है। मौजूद हैं की निर्मल हिण्डन जिला व ग्राम समितियों का गठन किया जा चुका है। भनेड़ा खुर्द व असालतपुर फरूर्खनगर ग्रामों में तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है। कूडा-करकट निस्तारण हेतु गाजियाबाद नगर निगम द्वारा नगरीय ठोस अपषिश्ट प्रबन्धन नियम-2000 का अनुपालन करते हुए ग्राम डूंडाहेडा मे कूडे को वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारित किये जाने हेतु कार्यदायी संस्था-सी.एण्ड.डी.एस. उत्तर प्रदेष जल निगम के द्वारा नगर निगम की 14 एकड भूमि पर कूडा निस्तारण योजना हेतु प्लान्ट का निर्माण जिसका 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है साथ ही नालो में शहरी घरेलू बहिस्राव की रोकथाम हेतु नगर निगम के माध्यम से रू. 20,000 अर्थ दण्ड आरोपित कर शक्ति से वसूली की जा रही है। जुर्माने के रूप मे वसूल की गयी धनराशि को नाला सफाई के कार्यो मे व्यय किया जा रहा है। निर्मल हिण्डन परिक्षेत्र में आने वाली समस्त 18 ग्राम पंचायतो में कूडा-करकट निस्तारण हेतु ठोस अपषिश्ट प्रबन्धन की कार्य योजना बनायी जा रही है। माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देषानुसार गाजियाबाद नगर निगम द्वारा हिण्डन मे कूडा-कचरा डालने वाले पर रू0. 20,000 का जुर्माना हेतु चेतवानी बोर्ड लगाये गये। निर्मल हिण्डन वन महोत्सव के दौरान अटोर गांव की भूमि से कब्जा हटाकर वहां दस हजार पौधों का रोपण किया गया। रेवरी रेवड़ा, विहंग, मटोर, सुराना, भेनेड़ खुर्द व अर्थला आदि गांवों में कुल 25460 पौधों का रोपण किया गया। हिण्डन किनारे के गांवों में जैविक कृषि को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद का सहयोग लिया जा रहा है। 

गौतमबुद्धनगर के प्रस्तुतिकरण में जानकारी दी गई कि हिण्डन वन महोत्सव के दौरान हिण्डन व यमुना नदी के संगम तिलवाड़ा गांव तथा नोएड़ के कुलेसरा गांव में सघन वृक्षारोपण किया गया। जनपद स्तर पर जिला निर्मल हिण्डन समिति का गठन किया जा चुका है। वहां के गांवों में भी समितियों का गठन किया जा रहा है। 

सभी सात जनपदों के प्रस्तुतिकरण के पश्चात्् डा0 प्रभात कुमार व सभी जनपदों में अधिकारियों द्वारा निर्मल हिण्डन की वेबसाइट का लोकार्पण किया। डा0 प्रभात कुमार द्वारा सम्मेलन में आए सभी प्रतिभागियों को हिण्डन संकल्प कराया गया तथा सभी सात जनपदों के अधिकारियों को केले की सैंपलिंग भंेट की। डा0 प्रभात कुमार द्वारा हिण्डन की रागिनी बनाने वाले मशहूर रागिनी गायक श्री ब्रहमपाल नागर, वेबसाइट बनाने वाले तथा डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने वाले श्री सनी सड़ाना को शाॅल ओढाकर सम्मानित किया। सम्मेलन के अंत में तेरा आंचल साफ करेंगे रागिनी गाकर श्री ब्रहमपाल नागर ने समां बांद दिया। 

सम्मेलन के दोरान निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के अब तक के कार्याें को समेटकर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। सम्मेलन में ग्राम प्रधान, किसान, हिण्डन प्रेमी, स्वयं सेवी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व विभिन्न जनपदों के अधिकारियों सहित करीब 1500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 

सम्मेलन को सफल बनाने में अपर जिला अधिकारी प्रशासन श्री सत्यप्रकाश पटेल, अपर जिलाधिकारी सदर सुश्री निशा अनंत, जे0डी0सी0, निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के समन्वयक श्री धर्मवीर कपिल, श्री जैन, क्लीन मेरठ के समन्वयक श्री अमित अग्रवाल, मण्डलायुक्त कार्यालय में कार्यरत श्री अयाज मेवाती, निर्मल हिण्डन कार्यालय में कार्यरत श्री तनवीर व क्लीन मेरठ से जुड़े 25 की संख्या में स्वयं सेवकों विशेष योगदान रहा। 

रमन कान्त त्यागी

निदेशक 

नीर फाउंडेशन

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