दीपावली से दो दिन पहले से ही त्यौहारों की श्रृंखला शुरू हो जाती है. दिवाली के आगमन का श्री गणेश होता है धनतेरस से, यह पर्व धन और आरोग्य के देवता धन्वंतरि को समर्पित है तथा यह दिन उनकी जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है. इसके मूल में यह मान्यता छिपी है कि भगवान धन्वंतरि का पूजन करने से हम परिवार सहित सुख, संपत्ति, वैभव और आरोग्य को प्राप्त करते हैं और हमारे घरों में धन-धान्य, कुशल-मंगल का आगमन होता है. सभी भारतवासियों के लिए दिवाली के त्यौहार की शुरुआत का प्रतीक यह त्यौहार बेहद विशेष है, इसके आगमन से लगता है कि दीपोत्सव अब जल्द ही आने वाला है, मन में सकारात्मकता के भाव आ जाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का अंत होकर वातावरण स्वच्छ होता है.
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है. यह कहावत आज भी प्रचलित है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है, जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है. हमारे धर्म शास्त्रों एवं पुराणों में दी गयी व्याख्या के अनुसार कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, तब उनके हाथों में अमृत भरा कलश था. विश्व में चिकित्सा और विज्ञान के प्रसार के लिए प्रकट हुए भगवान धन्वन्तरि को भगवान विष्णु का ही अवतार कहा गया है. धनतेरस के दिन दीपदान करना, नए बर्तन, गहनें या इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि खरीदने का भी शुभ मुहूर्त होता है. दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस हर किसी के लिए बहुत ही खास होता है.
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