हमारा गणतंत्र दिवस भारत वर्ष के लिए स्वर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन हमारा भारत एक पूर्ण लोकतान्त्रिक गणराज्य बना था. इससे पूर्व हम आजाद तो थे लेकिन ब्रितानी नियम कायदों के अंतर्गत ही हमारा शासन प्रशासन चल रहा था. भारतीय संविधान को विश्व के सबसे बड़े संविधानों में से एक माना जाता है.
भारत का संविधान एक लिखित संविधान है, जिसके निर्मित होने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था. 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है. 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो आगन्तुक बनकर भारत पधारे थे.
यदि हम अपने गणतंत्र दिवस के इतिहास का अध्ययन करें तो पाएंगे कि देश की आजादी के बाद एक ड्राफ्टिंग कमेटी को 28 अगस्त 1947 की मीटिंग में भारत के स्थायी संविधान का प्रारुप तैयार करने को कहा गया और 4 नवंबर 1947 को डॉ बी.आर.अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के प्रारुप को सदन में रखा गया. 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार हुआ हमारा संविधान डॉ बी.आर.अंबेडकर के अथक प्रयासों और निरंतर अध्ययन का परिणाम था. जिसे 26 जनवरी 1950 में पूरी तरह से लागू करते हुए पूर्णं स्वराज की सार्थकता सिद्ध की गयी.
वर्तमान में भी भारतीय संविधान एक गणतांत्रिक देश का सबसे बड़ा उदहारण प्रस्तुत करता है. यह दिवस हमें सिखाता है कि हम अपने देश के मान-सम्मान के लिए सदैव आगे बढ़ते रहे और अपने देश के विकास की गति को सदा सर्वदा के लिए चलायमान रखने में हर देशवासी का योगदान अंकित हो. कोई भी देश एकता और अखंडता के साथ ही आगे बढ़ता है और नागरिको का एकजुट होकर आगे बढ़ना ही वास्तव में गणतंत्र का सम्मान है. देश के परमोत्सव गणतंत्र दिवस पर आप सभी सम्मानीय देशवासियों को कोटि कोटि शुभकामनाएं.
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