प्रति वर्ष 8 मार्च को हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। इसके मूल में जाकर देखें तो पाएंगे कि कैसे महिलाओं ने अपने हितों के लिए लंबी लड़ाई लआदि है और समाज में अपने लिए विशेष स्थान प्राप्त किया है। देश-विदेश में महिलाओं को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष व आंदोलन करने पड़े हैं और वैश्विक इतिहास इन्हीं सब घटनाओं का साक्षी रहा है।
18वीं शताब्दी में महिलाओ को समाज में किसी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं थे, लेकिन 1837 में फ़्रांस के समाजवादी चार्ल्स फुरियर ने पहली बार फेमिनिज़म शब्द का प्रयोग अपने दस्तावेजों में किया, जिनका इशारा भविष्य में महिलाओं की मुक्ति से था। 1848 वह वर्ष था, जब महिलाओं ने न्यूयार्क में पहली बार अपने लिए महिला अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया और एलिजाबेथ कैडी व ल्यूक्रेटिया मॉट के नेतृत्व में महिलाओं ने अपने लिए हर क्षेत्र में अधिकारों की मांग की।
न्यूज़ीलैंड ऐसा पहला देश है, जिसने 1873 में महिलाओं को पहली बार मतदान का कानूनी अधिकार प्रदान किया। पहली बार "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" 8 मार्च 1911 में मनाया गया था, और इसमें डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में महिलाओं के मताधिकार की बात रखी गई। इसके बाद धीरे धीरे विश्व के अलग अलग देशों में महिलाओं के खिलाफ सदियों से चल रही क्रूर प्रथाओं और उनके अधिकारों का दमन करने वली प्रथाओं का कानूनी रूप से अंत किया जाने लगा और स्त्रियों को उनके सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक अधिकार मिलने लगे। मिस्त्र का फीमेल जेनिटल म्यूटीलेशन, भारत में सती प्रथा, बालिका विवाह जैसी अनेकों कुप्रथाओं का अंत करना महिलाओं की प्रगति का प्रतीक बना।
हालांकि वर्तमान में महिलाओं ने अपने अथक परिश्रम और कड़ी संघर्षों के बाद अपने लिए समाज में विशेष स्थान बनाया है और आज वह किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है, इसके बावजूद भी आज महिलाओं को कईं देशों में समानता, स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसके बाद भी महिलायें हर बाधा को पार कर अपने सपनों को आकार देते हुए नित प्रति समाज में नए मुकाम हासिल कर रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नमन है उन सभी महिलाओं को जिनके अद्वितीय योगदान ने समाज को नूतन आकार दिया, जिनके संस्कारों और विचारों ने समाज को अलंकृत किया। महिलाओं के सम्मान के प्रतीक इस दिवस पर हम सभी को यही प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि समाज से महिलाओं के प्रति भेदभाव, क्रूरता और सामाजिक प्रताड़ना को समाप्त करने की दिशा में हम सभी एकजुट होकर व संकल्पित होकर प्रयास करेंगे और इसी शुरुआत हम आज से, अभी से करेंगे।
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प्रत्येक मोर्चे पर अग्रणी भूमिका निभाने वाली "महिला शक्ति" को "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" की हार्दिक शुभकामनाएं
I write and speak on the matters of relevance for technology, economics, environment, politics and social sciences with an Indian philosophical pivot.