"मैं आजाद हूं, दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे। आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे।" का नारा देकर भारत की आजादी की भावना को नई शक्ति, नया प्राण और दिशा देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी, माँ भारती के लाल चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर कोटि-कोटि नमन. हम सभी भारतवासियों को ऐसे प्रबुद्ध स्वतंत्रता सेनानी पर गर्व है और हम सभी आपके कृतज्ञ है.
ज्ञात हो कि आज हम अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती मना रहे हैं और समस्त देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. आज हमें मिली स्वतंत्रता और गणतंत्र हमारे इन्हीं महानायकों की देन है, इस आज़ादी को अलंकृत करने, आकार देने और मजबूत करने में हमारे पूर्वजों ने बहुत से कुर्बानी दी है. असहयोग आंदोलन के दौरान काशी ने चंद्रशेखर को आजादी का दीवाना बना दिया. राष्ट्रभक्ति की ऐसी भावना जगाई कि वह स्वतंत्रता संग्राम में उतरने को कटिबद्ध हो उठे.
एतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती के सूत्रधार के तौर पर ख्याति प्राप्त चंद्रशेखर आजाद मृत्युपर्यंत आजाद ही रहे, उन्होंने गिरफ्तार होने पर अदालत में भी कहा था कि उनका नाम आजाद है. लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदल लेने के लिए उन्होंने राजगुरु और भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेजी अधिकारी जेपी सांडर्स को गोलियों से भून डाला था. चंद्रशेखर आजाद के जीवन के आखिरी दिन जब इलाहाबाद के एल्फ्रेड पार्क में पुलिस ने उन्हें घेर लिया था तो उन्होंने अपनी आजाद रहने की कसम के चलते खुद को गोली मार ली थी. आजादी के बाद उस पार्क का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया.
चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कई अभियान चलाए, ताकि भारत को स्वतंत्रता मिल सके. मॉं भारती को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले, देश के लाल, वीरता और निर्भीकता के अमर प्रतीक, महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद जी की जयंती पर उन्हें कोटि- कोटि नमन. मातृभूमि के लिए उनका संघर्ष देश के युवाओं को युगों युगों तक प्रेरणा देगा.
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