सुनहरी फसलों की आभा का प्रतीक बैसाखी, आप सभी को बहुत बहुत मुबारक हो. नवता और शुभता का परिचायक बैसाखी पर्व आप सभी के जीवन में भी नव मंगल का संचार करे, यह मेरी हार्दिक आशा है.
बैसाखी पर्व प्रमुख
रूप से किसानों और फसलों की समृद्धता का त्यौहार माना जाता है, भारत में उस प्रत्येक वस्तु को सम्मान दिए जाने की
परम्परा रही है, जिसे प्रकृति ने हमें स्नेह और अनुकंपा के साथ सौंपा है. अन्न भी
प्रकृतिदत्त उसी उपहार का प्रतीक है, जिसका सम्मान करने की परंपरा का प्रतीक पर्व
बैसाखी है. किसान इस दिन अपनी अच्छी
फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है और देश में अलग-अलग जगहों पर इसे विभिन्न
नामों से मनाया जाता है, जैसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु और पंजाब, हरियाणा में बैसाखी के नाम से लोग देशभर में इस दिन
को मनाते हैं.
इस समय सूर्य की
स्थिति में परिवर्तन होता है, जिसके बाद सूर्य की किरणों में तेजी निरंतर बढती
जाती है. गर्म किरणों के चलते ही फसल तेजी से पक जाती है, जिसके चलते किसानों के
लिए यह त्यौहार उत्सव की भांति मनाया जाता है. वैज्ञानिक तौर पर देखें तो मौसम में
बदलाव होने से गर्मी अपने पूरे चरम होती है और इसी बदलाव को त्यौहार के रूप में
मनाए जाने की हमारे देश में मान्यता रही है. फसलों, नदियों, वातावरण के सम्मान का
सूचक बैसाखी आप सभी को मुबारक है.
अनंत शुभकामनाएं
रिंकू सोनकर
अध्यक्ष, फ्रूट
एंड वेजिटेबल वेलफेयर एसोसिएशन
नमस्कार, मैं रिंकू सोनकर आपके क्षेत्र का प्रतिनिधि बोल रहा हूँ. मैं आप सब की आम समस्याओं के समाधान के लिए आपके साथ मिल कर कार्य करने को तत्पर हूँ, चाहे वो हो प्रदेश में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, समानता, प्रशासन इत्यादि से जुड़े मुद्दे या कोई सुझाव जिसे आप साझा करना चाहें. आप मेरे जन सुनवाई पोर्टल पर जा कर ऑनलाइन भेज सकते हैं. अपनी समस्या या सुझाव दर्ज़ करने के लिए क्लिक करें - जन सुनवाई.
I write and speak on the matters of relevance for technology, economics, environment, politics and social sciences with an Indian philosophical pivot.