ओजोन, यानि एक प्रकार की वायुमंडलीय गैस जो हमारी धरती को चारों और से घेरे हुए है और सूर्य से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रा वायलेट (पराबैंगनी) किरणों से धरती की सुरक्षा करती है. ओजोन (O3) एक प्रकार की ऑक्सीजन है जो तीन ऑक्सीजन परमाणुओं के संयोजन से बनती है. इसी ओजोन परत के संरक्षण को समर्पित है "विश्व ओजोन दिवस".
16 सितम्बर को विश्व भर में हर वर्ष विश्व ओज़ोन दिवस मनाया जाता है, जिसका प्रमुख उद्देश्य लोगों को ओजोन लेयर का महत्व समझाते हुए इसके संरक्षण के लिए जागरूक करना है. इसकी शुरुआत 23 जनवरी, 1995 को यूनाइटेड नेशन की आमसभा में की गई थी और यह निश्चय किया गया था कि हर 16 सितम्बर को "अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस" मनाया जायेगा.
सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें, जिन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है, यदि इनका सीधे धरती से संपर्क होता है तो यह रेडिएशन की मात्रा कहीं गुणा अधिक बढ़ा देती हैं, जिनसे कैंसर, चर्म रोग, प्रतिरोधक क्षमता का खत्म होना, फसलों का नष्ट होना, विभिन्न प्रजातियों का विलुप्त होना इत्यादि का खतरा बढ़ जाता है. इन किरणों से निकलने वाली ऊर्जा बेहद अधिक होती है, जिनसे यदि ओजोन लेयर हमें नहीं बचाए तो यह धरती के लिए बेहद घातक होंगी.
हम सभी ने बहुत बार सुना है कि ओजोन लेयर में अंटार्कटिका के ऊपर एक छिद्र बड़ा छिद्र वैज्ञानिकों द्वारा देखा गया है, जिसका सबसे प्रमुख कारण मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न हानिकारक गैसें मानी जा रही हैं. विगत दो से तीन दशकों से जिस प्रकार एयर कंडीशनर, रेफ्रीजरेटर, अन्य वातानुकूलित उपकरण आदि का चलन बढ़ा है, उससे समताप मंडल पर ही ओजोन में कमी आत्री जा रही है. यहां तक कि सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड से भी ओजोन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
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