मौन सबसे सशक्त भाषण है. धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी..!! (महात्मा गाँधी)
बापू का समस्त जीवन ही हम सभी के लिए उनका संदेश रहा है, उनके आदर्श, सिद्धांत और प्रेरणादायक विचारों की श्रृंखला सभी भारतवासियों के लिए एक अनमोल उपहार के समान है. आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर सभी भारतवासी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
आज विश्व में लोग यदि भारत को जानते पहचानते हैं तो उसका एक बड़ा कारण बापू हैं, क्योंकि उनके सिद्धांतवादी जीवन ने भारत को एक विशिष्ट पहचान दिलवाई है. महात्मा गाँधी को भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि दी गयी है. गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर को जन्में मोहनदास करमचंद गांधी देश के सबसे प्रमुख राष्ट्रीय आंदोलनकारी नेतृत्त्व के तौर पर उभरे, जिन्होंने अपनी सत्य, अहिंसा, क्षमा, सत्याग्रह जैसी नीतियों के जरिये देश की स्वतंत्रता में बड़ा योगदान दिया. प्रारम्भिक शिक्षा गुजरात के ही विद्यालय से प्राप्त करने के उपरांत बापू ने मैट्रिक की शिक्षा बम्बई यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी. इसके बाद गाँधी जी ने लंदन से बैरिस्टर की शिक्षा प्राप्त की.
कानून की बेहतर समझ होने के चलते उन्होंने सत्याग्रह, खिलाफत, अंग्रेजों भारत छोड़ो, स्वदेशी आंदोलन इत्यादि के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को हिला कर दिया. हिंसा के सख्त खिलाफ महात्मा गांधी का मानना था कि "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी", वास्तव में उनके विचार एक कल्याणकारी संत के ही विचार थे. तभी तो हम उन्हें आज तक साबरमती का संत कहकर पुकारते हैं.
महात्मा गाँधी ने जिस प्रकार सत्याग्रह, अहिंसा, शांति और सत्य के मार्ग पर चलते हुए बिना किसी हिंसा के अंग्रजों को देश से बाहर का मार्ग दिखाया, वह अपने आप में अविस्मरणीय है और उनका यही अहिंसा का भाव उन्हें एक संत के तौर पर प्रतिष्ठा देता है. सुविख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने भी महात्मा गाँधी के विषय में कहा था कि,
"आज से हजारों साल बाद की नस्लें शायद ही इस बात पर यकीन कर पाएं कि हाड़-मांस से बना कोई ऐसा इंसान भी इस धरती पर कभी आया था."
I write and speak on the matters of relevance for technology, economics, environment, politics and social sciences with an Indian philosophical pivot.